Monday, September 22, 2014
शारदीय नवरात्र , शरद नवरात्री आश्विन शुक्ल पक्ष की पड़वा से लेकर नवमी तक शारदीय नवरात्री मनाया जाता हैं ! भारत में चार नवरात्री मनाते हैं जो कि इस प्रकार हैं ! चैत्र अषाढ़ अश्विन माघ आश्विन नवरात्र का अपना महत्त्व हैं ! अश्विन नवरात्री को शारदीय नवरात्री के नाम से भी जाना जाता हैं ! चैत्र और शरद नवरात्री में सभी देवी माँ की उपासना करते हैं ! नवरात्री में महादुर्गा, महासरस्वती, महालक्ष्मी, महाकाली, आदि देवियों की उपासना व् दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए ! स्वयं ये पाठ न कर सकते हो तो ब्राह्मण द्वारा, गणेश, माँ दुर्गा, माँ लक्ष्मी , कलश , नवग्रह, षोडश मातृका एवं सर्वतो भद्र बेदी आदि का पूजन कराकर पाठ करे ! प्रतिदिन बटुक व् कुमारी का भी पूजन करे ! नवमी को हवन करे ! इन नौ दिनों में अर्थात शरद नवरात्री में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ! हो सके तो नौ दिनों का उपवास करे ! अन्यथा अपनी सामर्थ्यनुसार भोजन कर प्रसाद ग्रहण करे ! कन्या पूजन में कन्याओं की आयु दस वर्ष तक की ही होनी चाहिए ! नवरात्री में श्री मदभागवत की कथा व् रामायण पाठ भी सुखद व् अनुकूलित फल प्रदान करता हैं ! शरद नवरात्री में सरस्वती शयन भी कराया जाता हैं ! पूजन का विधान में सरस्वती जी को मूल नक्षत्र में आहवाहन करें तथा पुस्तक को शयन कराकर पुस्तक का प्रतिदिन पूजन करे ! श्रवण नक्षत्र में विसर्जन करे सप्तमी से दसमी तक पठन पाठन बंद रखे ! नवरात्री में प्रतिदिन सिद्ध कुज्जिका स्तोत्र का पाठ करने से दुर्गा सप्तशती पाठ करने का पूर्ण फल मिलता हैं !
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jay mata di
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