Thursday, January 26, 2012

सुख बाहर नहीं उंदर होता है ! बाहर की वस्तुएं न तो सुख देनेवाली हैं न दूख ! यह तो हमारे आन्तरिक भाव पर निर्भर करता है su.ji

Tuesday, January 24, 2012

मानव एक सामाजिक प्राणी है और सामाजिक होने का अर्थ है किसी समाज का हिस्सा होना. हर व्यक्ति की एक अलग society होती है जो उसके अपने relationship पर depend करती है .इसलिए मानव के लिए संबंधों का बहुत अधिक महत्व है जिसके सहारे वो अपना सारा जीवन व्यतीत करता है. . मानव दो तरह के संबंधों से जुड़ा है पहले वो जो जन्म से ही उसके साथ होते हैं औरदूसरे वो जिसे वो अपनी ख़ुशी या पसंद से बनाता है.

आप के माता -पिता या रिश्तेदार कौन होंगे ,आपके स्कूल के principal कौन होंगे, boss कौन होंगे , colleagues कौन होंगे या पड़ोसी कौन होंगे ये आप decide नहीं कर सकते.हाँ !एक ऐसा सम्बन्ध ज़रूर है जिसे आप अपनी इच्छा से चुनते और जोड़ते हैं और वो है ’दोस्ती’. दोस्तहम कई लोगों में से कुछ लोगों को ही बनाते हैं .
माफ़ करना अँधेरे कमरे में रौशनी करने जैसा होता है, जिसकी रौशनी में माफ़ी मांगने वाला और माफ़ करने वाला दोनों एक दूसरे को और करीब से जान पाते हैं. माफ़ करके आप किसी को एक मौका देते हैं अपनी अच्छाइयों को साबित करने का.
तो अगर हम किसी ज़िन्दगी की सूखी ज़मीन पर माफ़ी की दो- चार बूंदों की बारिश कर पायें तो हो सकता है कि उस सूखी ज़मीन पर आशाओं, और मुस्कुराहटों के फूल खिल उठें.
शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है. शक लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़तम करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है.यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती हैg.b.
: किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है.g.b.
: सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं. अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?g.b.
हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है , तो उसे कष्ट ही मिलता है. यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोडती .g.b.
क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भी चीज जिसपर वह डाला जाये ,से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानि पहुंचा सकता है जिसमे वह रखा है.
कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा.m.g.
:हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें. हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा.m.g.
जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते.vi.
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है.vi.
: किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये.vi.

Sunday, January 15, 2012

Tum Jise Chaho Apna Andaz De Dena

Haq Itna Sa Mujhe Aaj De Dena.

Nazrein Dunia Ki Jab Tumhe Tanha Chhod De

Us Mod Par Mujhe Ek Awaz De Dena…

Monday, January 9, 2012

आपके हिस्से में सुख मिला है या दुःख, इसकी परवाह न करना। जो मिला उसे आप भगवान की कृपा मानकर उसका प्रसाद मानकर स्वीकार करो और आगे बढ़ते जाओ। *