Monday, September 22, 2014
शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, 25 सितंबर 2014 को शारदीय नवरात्रों का प्रारंभ होगा. देवी दुर्गा जी की पूजा प्राचीन काल से ही चली आ रही है, अनेक पौराणिक कथाओं में शक्ति की अराधना का महत्व व्यक्त किया गया है. नौ दिनों तक चलने नवरात्र पर्व में माँ दुर्गा के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा का विधान है. नवरात्र के इन प्रमुख नौ दिनों तक देवी दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ इत्यादि धार्मिक किर्या कलाप संपन्न किए जाते हैं. कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र प्रारंभ | दुर्गा पूजन का आरंभ कलश स्थापना से शुरू हो जाता है अत: यह नवरात्र घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को 25 सितंबर के दिन की जाएगी. आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है. व्रत का संकल्प लेने के पश्चात ब्राह्मण द्वारा या स्वयं ही मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है. कलश की स्थापना के साथ ही माता का पूजन आरंभ हो जाता है और नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व अपने साथ सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने वाला होता है. शक्ति पूजा का यह समय संपूर्ण ब्रह्माण की शक्ति को नमन करने और प्रकृत्ति के निर्विकार रुप से अग्रसर होने का समय होता है. शक्ति उपासना का समय शारदीय नवरात्र | शारदीय नवरात्र शक्ति उपासना का महत्वपूर्ण समय होता है. देवी के जयकारों से समस्त वातावरण अभिभूत हो जाता है. देवी की मूर्तियाँ बनाकर उनकी विशेष पूजा उपासना की जाती है. कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती एवं दुर्गा मां के मंत्रो उच्चारणों द्वारा माता का आह्वान किया जाता है. शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक इनका रंग दिन प दिन चढ़ता जाता है और नवमी के आते आते पर्व का उत्साह अपने चरम पर होते हैं. दुर्गा अष्टमी तथा नवमी के दिन मां दुर्गा देवी की पूर्ण आहुति दी जाती है नैवेद्य, चना, हलवा, खीर आदि से भोग लगाकर कन्यों को भोजन कराया जाता है. शक्ति पूजा का यह समय, कन्याओं के रुप में शक्ति की पूजा को अभिव्यक्त करता है.आदिशक्ति की इस पूजा का उल्लेख पुराणों में प्राप्त होता है. श्री राम द्वारा किया गया शक्ति पूजन तथा मार्कण्डेय पुराण अनुसार स्वयं मां ने इस समय शक्ति पूजा के महत्व को प्रदर्शित किया है. आश्विन माह की नवरात्र में रामलीला, रामायण, भागवत पाठ, अखंड कीर्तन जैसे सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान देखे जा सकते हैं नवरात्र में देवी दुर्गा की कृपा, जीव को सदगति प्रदान करने वाली होती है तथा जीव समस्त बंधनों एवं कठिनाईयों से पार पाने कि शक्ति प्राप्त करने में सफल होता है. शारदीय नवरात्र व्रत | शारदीय नवरात्र व्रत स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं. सर्वप्रथम प्रातः काल स्वयं स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर वर्त संकल्प कर पूजा स्थान पर वेदी का निर्माण कर लेना चाहिए श्री गणेश करते हुए आद्या शक्ति का विधिवत प्रकार से षोडशोपचार पूजन करना चाहिए. कलश की स्थापना कर नवरात्र व्रत का संकल्प लेकर कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा, पंचामृत एवं पंचगव्य डालकर उसके मुंह पर कलावा बाधना चाहिए, कलश के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर पूजन कर मा दुर्गा का ध्यान करना चाहिए. देवी महात्म्य और दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ मंत्रोचारण भी करना चाहिए इस प्रकार नौ दिनों तक नवरात्र करके दशमी को दशांश हवन, कन्या पूजन द्वारा व्रत का पारण करना चाहिए.
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pt.sushil mishra
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