Monday, October 3, 2016

卐विजयादशमी卐

*सुमंगलम् भवतु*"✍��
*विजयादशमी पर्वश्य भवतां सर्वेषां अनंताः शुभकामनाः*"
*विजयादशमी इति मम् प्रियोत्सवः*"
      *एतद् पर्व आश्विन्मासस्य शुक्लपक्षे दशम्यां तिथौ मान्यते* " *एतस्य विषये एका प्रसिद्धा आख्यायिका वर्तते* | *यत् यदा श्रीरामः लङ्काधिशं  पराजितं कृत्वा अयोध्यायाम् आगच्छत् तदा तस्य आनन्दोत्सवः एव विजयादशमी इति नाम्ना आयोजितः*" !
*अधुना अपि बहवः जनाः अस्मिन् अवसरे शस्त्राणां पूजां कुर्वन्ति* | *उत्तरभारते अस्मिन् पर्वणि ग्रामे ग्रामे रामलीला आयोज्यते* | *रामलीला सदाचारं सद्व्यवहारं च शिक्षयति* | *रावणदहनस्यापि कार्यक्रमाः स्थाने स्थाने आयोज्यन्ते* | *अस्मिन् अवसरे महाराष्ट्रे जनाः शमीपत्राणि सुवर्णरुपेण यच्छन्ति* "!!
*अस्मिन् शुभ अवसरे सर्वेभ्यः शुभकामनाः वितरामि*"!!
*लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्‌*"!
*कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये*!!
*धन्यवादाः*"!!
*☼ ☼ ☼ ☼ ☼ ☼*
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु*" *सर्वेषां शान्तिर्भवतु* " *सर्वेषां पूर्णं भवतु* " *सर्वेषां मङ्गलं भवतु* " !!
*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः*" !  *सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्*" !!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
*ऊँ नमों राघवाय*" 
*शुभदिनमस्तु* !!
�� *सुशील मिश्रः*"��

卐नवरात्रि पर्वस्य शुभकामनाः卐

*सुमंगलम् भवतु*"
!! *वर दे दुर्गे वर दे*"!!
卐 *ॐ दुं दुर्गायै नमःॐ*卐
*"शक्ति" साधना शारदीय नवरात्रि पर्वस्य भवतां सर्वेषां कोटिशः शुभकामनाः*"!!
*एतद् पर्व आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य प्रतिपदा तिथीतः आरभ्य नवमीतिथौ पर्यन्तं नव दिनानि यावत् आचर्यते*"!
*एतत्पर्वावसरे गृहे, गृहे सर्वे भक्त जनाः घटस्थापनं, नवदुर्गापूजनं च कुर्वन्ति*"!
*दुर्गाशप्तशती पुस्तके उल्लिखिता*"
*प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी*।
*तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्*"
*पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च*।
*सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टकम्* ।।
*नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः*।
*उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना* ।।
*अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे*।
*विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः*।।
*न तेषां जायते किंचिदशुभं रणसंकटे*।
*नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि*।।
*हे विप्रवर*!
*देवी का यह कवच अत्यन्त गुह्य तथा सभी भूतों का उपकारक है*, *हे महामुनि इसे सुनें* ।
*देवी के ये नाम महात्मा ब्रह्मा(वेद) के द्वारा वर्णित हैं*।
*जो विषम परिस्थिति में दुर्गम स्थल पर या भय या अधिक दुःख से त्रस्त(आर्त) होकर देवी की शरण में आते हैं*"
*उनका रण में या संकट में किसी प्रकार का (कुछ भी) अशुभ नहीं होता है*"
*न ही उनकी च्युति(अपद) होती है और न ही उन्हें किसी प्रकार का शोक, दुःख, भय प्राप्त होता है*"!!
*आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं*
*करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि*।
*नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः*
*क्षुधातृषार्ताः जननीं स्मरन्ति*॥
*अपराधो भवत्येव*
*तनयस्य पदे-पदे*।
*कोऽपरः सहते लोके*
*केवलं मातरं विना*॥?

*पुत्र से कदम-कदम पर गलतियाँ होती रहती हैं*। *उन गलतियों को माँ के सिवा और कौन सह सकता है*?
*भो मातृ दुर्गे क्षमस्व मम् सर्वापराधं, क्षमस्व करुणामयी*"
*त्वाम् चरणे अनंताः वंदनम् समर्पयामि*"!!
*धन्यवादाः*"!
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु" सर्वेषां शान्तिर्भवतु*" *सर्वेषां पूर्णं भवतु "सर्वेषां मङ्गलं"भवतु*"!!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
" *सुशील मिश्रः*"
�� *शुभदिनमस्तु* !!��
  

卐 नव दुर्गाः" 卐

*सुमंगलम् भवतु*"����
*卐ॐ दुं दर्गायै नमःॐ卐*
*नवरात्रि पर्वस्य अनंताः शुभेच्छाः*"⚜⚜������������
*जय भगवति देवि नमो वरदे, जय पापविनाशिनि बहुफलदे*।
*जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे, प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे*॥
1) *प्रथमं शैलपुत्री*���"
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
2) *द्वितियं ब्रह्मचारणी*���"
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
3) *तृतियं चंद्रघंटा*"��
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
4) *चतुर्थं कूष्माण्डा*"���
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
5) *पंचमं  स्कंदमाता*"���
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्
तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।
सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥
स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥
6) *षष्ठं कात्यायनी*���
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
7) *सप्तमं कालरात्रि*"���
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
8) *अष्टमं महागौरी*"���
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
9) *नवमं सिद्धिदात्री*"���
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः" सिद्धगन्धर्वयक्षाघरसुरैरमरैरपि से व्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।

स्मेरमुखी शिवपत्‍‌नी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।

नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोस्तुते॥

परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।

भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोस्तुते॥

धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।

मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोस्तुते॥
⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜
*धन्यवादाः*"!!
*☼ ☼ ☼ ☼ ☼ ☼*
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु" सर्वेषां शान्तिर्भवतु*" *सर्वेषां पूर्णं भवतु "सर्वेषां मङ्गलं"भवतु*"!!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
*ॐ नमश्चंडिकायै*"
�� *शुभदिनमस्तु*�� !!

Sunday, September 18, 2016

नित्य कर्म प्रधानम्"

*सुमंगलम् भवतु*"✍
!! *श्री मन्महागणाधिपतये नमः*"!!
*आदरणीय मित्रों यहाँ हम आप लोगों के साथ कुछ रोचक जानकारियां साझा कर रहे हैं, रोचक ही नहीं परम सत्य भी है*"
*आशा करते हैं कि आप सभी लाभान्वित होंगे*"!
�� *नास्ति सत्यसमों धर्मः*"
*सत्य के समान कोई धर्म नहीं है*"
*गीता में भी कहा गया है*"
*सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं, सत्यस्य योनिं निहितं च सत्ये*"!
*सत्यस्य सत्यमृतसत्यनेत्रं, सत्यात्मकं त्वाम् शरणं प्रपंन्नाः*"!!
*अर्थात्-"प्रभो ! आप सत्य संकल्प हैं ! सत्य ही आप की प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन है ! सृष्टि के पूर्व प्रलय के पश्चात और संसार की स्थिति के समय इन असत्य अवस्थाओं में भी आप सत्य हैं"! पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश इन पाँच दृश्यमान सत्यों के आप ही कारण हैं" आप इस दृश्यमान जगत के परमार्थ स्वरूप हैं' आप ही मधुर वाणी और समदर्शन प्रवर्तक हैं"! भगवन् ! आप तो बस सत्य स्वरूप ही हैं" हम सब आप की शरण में आये हैं*!!
1) �� *कुर्याद् द्वादश गण्डूषान् पुरीषोत्सर्जने ततः*!
*मुत्रोत्सर्गे तु चतुरो भोजनांन्ते तु षोडश*!!
*मल त्याग के बाद 12, मूत्र त्याग के बाद 4, और भोजन के बाद 16 कुल्ले करने चाहिए*"!!
2) �� *मध्यमानामिकाभ्यां च वृद्धाङ्गुष्ठेन् च द्विजः" दन्तस्य धावनं कुर्यान्न तर्जन्या कदाचन्*!!
*मध्यमा, अनामिका अथवा अंगुठे से दांत साफ करें किंतु तर्जनी अंगुली से कदापि न करें*" *पद्म पु*,"
3) �� *उच्चारे मैथुने चैव प्रस्त्रावे दंतधावने" श्राद्धे भोजनकाले च षट्सु मौनं समाचरेत्*"!!
*मल, मूत्र, मैथुन, दंतधावन श्राद्ध और भोजन के समय मौन रहना चाहिए*"!!
4)�� *जम्हाई आने पर चुटकी बजायें, छीकनें पर शतं जीवेत् शरदः कहें, अधोवायु, थूक, तथा नेत्रों में जल आने पर दाहिना कान अंगूठे से स्पर्श करना चाहिए*"!!
5)��  *तैलाभ्यङ्गे रवौ तापः सोमें शोभा कुजे मृतिः" बुधे धनं गुरौ हानिःशुक्रे दुःखं शनौ सुखम्*"!!
*रवौ पुष्पं गुरौ दुर्वा भौमवारे च मृत्तिका " गोमयं शुक्रवारे च तैलाभ्यङ्गे न दोषभाक्*!!
*नित्यमभ्यङ्गके चैव वासिते नैव दूषणम्*"!!
*रविवार को तेल लगाने से ताप, मंगलवार को मृत्यु, गुरूवार को हानि तथा शुक्रवार को दुःख होता है"! सोमवार को शोभा, बुधवार को धन और शनिवार को सुख होता है"! यदि निषिद्ध चारों में तेल लगाना हो तो" रविवार को तेल में पुष्प,  गुरूवार को दुर्वा, मंगलवार को मृत्तिका, और शुक्रवार को गोबर डाल कर लगाएँ"! इसमें दोष नहीं होता"! सुगंधित तेल" तथा प्रतिदिन तेल लगानेवाले को दोष नहीं लगता" !!(ज्यो, सा,*)
6) �� *मनुष्य के शरीर में प्रधान 9 छिद्र हैं, वे रात्रि में शयन करने से अपवित्र हो जाते हैं" इसलिए प्रातः स्नान अनिवार्य है*"!!
*निपानादुद्भृतं पुण्यं ततः प्रस्त्रवणोदकम्* !
*ततोऽपि सारसं पुण्यं ततो नादेयमुच्यते* !
*तीर्थतोयं ततः पुण्यं गङ्गातोयं ततोऽधिकम्*"!!
*कुँए के जल से झरने का, झरने से सरोवर का, सरोवर से नदी का, नदी से तीर्थ का, और तीर्थ से गंगा जी का जल श्रेष्ठतर होता है, "(अग्निपु*,)
7)�� *तिलक किये बिना संध्या, पितृकर्म और देवपूजा न करें " चंदनादि के अभाव में जलादि से तिलक करें*"!
*अनामिका शान्तिदोक्ता मध्यमायुष्करी भवेत्*!
*अङ्गुष्ठः पुष्टिदः प्रोक्तःतर्जनी मोक्षदायनी*!!
*तिलक करने में अनामिका शांति देने वाली, मध्यमा आयु बढाने वाली, अंगुष्ठ पुष्टि देने वाला, और तर्जनी मोक्षदायनी होती है" (स्कं, पु*,)!!
8)�� *गृहे चैकगुणः प्रोक्तः गोष्ठे शतगुणः स्मृतः"पुण्यारण्ये तथा तीर्थे सहस्त्रगुणमुच्यते*"!
*अयुतः पर्वते पुण्यं नद्यां लक्षगुणो जपः" कोटिदेॅवालये प्राप्ते अनंतं शिवसन्निधौ* !!
*घर में जप करने से एक गुना, गौवों के समीप सौ गुना, पवित्र वन या तीर्थ में हजार गुना, पर्वत पर दश हजार गुना, नदी तट पर लाख गुना, देवालय में करोड़ गुना तथा शिव के समीप अनंत गुना फल प्राप्त होता है*"!!
9)�� *यस्मिनस्थाने जपं कुर्यात् शक्रो हरतितत्जपम्"तन्मृदा लक्ष्म कुर्वीत ललाटे तिलकाकृतिम्*"!!
*जिस आसन पर बैठकर जप किया हो उसके नीचे की मृत्तिका मस्तक में लगाएँ" ऐसा न करने पर जप का फल इंद्र ले लेते हैं*"!!
10)�� *संध्याहीनोऽशुचिनिॅत्यमनर्हः सर्वकर्मसु" यदन्यत्कुरुते कर्म न तस्य फलभाग्भवेत्*"!!
*ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य यदि संध्या नहीं करते तो वे अपवित्र रहते हैं और उन्हें किसी भी पुण्य कर्म का फल नहीं मिलता*"!!
11)�� *पादशेषं पीतशेषं संध्याशेषं तथैव च" शुनो मूत्रसमं तोयं पीत्वा चान्द्रायणं चरेत्*"!!
*पैर धोने से, पीने से, और संध्या करने से बचा हुआ जल स्वान मूत्र के समान हो जाता है" उसके पीने पर चांद्रायम व्रत करने से मनुष्य शुद्ध होता है" इस लिए उसे फेंक देन चाहिए*"!!
*नित्य कर्म पद्धति से*"!!
*धन्यवादः*"
*☼ ☼ ☼ ☼ ☼ ☼*
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु" सर्वेषां शान्तिर्भवतु*" *सर्वेषां पूर्णं भवतु "सर्वेषां मङ्गलं"भवतु*"!!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
*ऊँ नमों वासुदेवाय*"
*नमोंराघवाय" शुभदिनमस्तु* !!
*सुशील मिश्रः*
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Friday, September 16, 2016

जन्मदिवसस्य शुभ कामनाः"

*सुमंगलम् भवतु*"
माननीय प्रधान मंत्री महोदयः"
*जन्मदिवसस्य अतीव शुभकामनाः*"!!"
*भगवतः कृपा भवतु भवतः उपरि*"!
*सुखी भवतु*" *यशः वर्धेत्*" *चिरंजीवी भवतु*"
*प्रार्थयामहे भव शतायु:, ईश्वर सदा त्वाम् च रक्षतु*।
*पुण्य कर्मणा कीर्तिमार्जय जीवनम् तव भवतु सार्थकम्*
*स्वस्तिर्भवतु, शान्तिर्भवतु, पूर्णं भवतु, मंगलम् भवतु*"
*विजयी भव सर्वत्र, सर्वदा जयतु*"
*इति भगवत्चरणयोः सर्वदा प्रार्थयामहे*"!!
*शुभदिनमस्तु*"
*सुशील मिश्रः*"

Monday, September 5, 2016

ऊँ गं गणपतये नमः*"

*सुमंगलम् भवतु*"����������
*गणेश चतुर्थी पर्वश्य /शिक्षक दिवसस्य च सर्वेषां कोटिशः शुभकामनाः*"
   !! *आचार्य देवो भवः*!!
!! *ऊँ श्री मन्महागणाधिपतये नमः*!!
*प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्* । *भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये*!!
***********************
*भारतीयकालमानानुगुणं मासस्य चतुर्थं दिनं चतुर्थी तिथिः भवति* । *इयं तिथिः शुक्लपक्षे कृष्णपक्षे च आगच्छति* । *चतुर्थ्यां भारतीयाः नैके उत्सवाः आचर्यन्ते* । *तेषु गणेशोत्सवः प्रधानः यः भाद्रपदमासे शुक्ले पक्षे चतुर्थ्यां भवति*!
*गणेशचतुर्थी इति नाम्ना भारते सर्वत्र विविधक्रमेण आचर्यते* !!
*ब्रिटिश काले " महान् राष्ट्रभक्तः बाल गंगाधर तिलकः  भारतस्य स्वतंत्रतासंग्रामे प्रमुखः नेता आसीत्*"!
*तिलकमहोदयस्य अतिमहत् योगदानं नाम सार्वजनिकः गणेशोत्सवः* । *भाद्रपदमासस्य शुक्लपक्षस्य चतुर्दशीतः आरभ्य अनन्तचतुर्दशी पर्यन्तं द्वादशदिनानि अयं सार्वजनिकगणेशोत्सवः सर्वैः मिलित्वा आचर्यते* !!
*अनंतचतुर्दशी तिथौ पूजां कृत्वा गणेशप्रतिमायां विसर्जनं कुर्वन्ति*"!!
*एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्*।।
☯☯☯☯☯☯☯�
*महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्*।।
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*गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्*।।
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*क्षमस्व मम् सर्वापराधं। क्षमस्व करुणानिधे*।
*त्वाम् चरणे अनन्त कोटि वन्दनं  समर्पयामि*!!
*धन्यवादः*"
*☼ ☼ ☼ ☼ ☼ ☼*
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु" सर्वेषां शान्तिर्भवतु*" *सर्वेषां पूर्णं भवतु "सर्वेषां मङ्गलं"भवतु*"!!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
*ऊँ गं गणपतये नमः*"
�� *शुभदिनमस्तु*��
              " *सुशील मिश्रः*"
  

"" सर्वेभ्यः शिक्षकेभ्यः ""

!! *शिक्षक दिवसस्य शुभकामनाः*"!������
*अस्माकम् देशे शिक्षक दिवसः पञ्च सप्टेंबरे आगच्छति*!
*भवन्तः  अस्माकम् विद्यार्थिनाम् जीवनस्य प्रेरणास्त्रोताः। *भवताम् मार्गदर्शनेन वयम् सफलताम् लभामहे*"!
*अस्य शुभ-दिवसस्य उपलक्ष्ये सर्वेभ्यः शिक्षकेभ्यः अतीव् शुभकामनाः*"!!
*ध्यान मूलं गुरो मूर्ति: पूजा मूलं गुरो पदं*।
*मंत्र मूलं गुरोर्वाक्यं मोक्ष मूलं गुरु कृपा*।।
*शुभदिनमस्तु*"
�� *सुशील मिश्रः*"��

Wednesday, August 31, 2016

"कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्"

*सुमंगलम् भवतु*"����
*सप्त ऋषि-सप्त रसातल-सप्त स्वर प्रार्थना मन्त्र*!!
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*सनत्कुमारः सनकः सनन्दनः*
*सनातनोऽप्यासुरिपिङगलौ च*"
*सप्त  स्वराः सप्त   रसातलानि*
*कुर्वन्तु  सर्वे मम  सुप्रभातम्*!!
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*ब्रह्मा के मानसपुत्र बाल ऋषि) सनतकुमार, सनक, सनन्दन और सनातन तथा *सांख्य-दर्शन के प्रर्वतक कपिल मुनि के शिष्य*" *आसुरि एवं छन्दों का ज्ञान कराने वाले मुनि पिंगल मेरे इस प्रभात को मंगलमय करें*। *साथ ही*  ( *नाद-ब्रह्म के विवर्तरूप षड्ज*, *ऋषभ, गांधार, मध्यम, *पंचम, धैवत और निषाद) ये सातों स्वर और (हमारी पृथ्वी से नीचे स्थित) *सातों रसातल (अतल, वितल, *सुतल, रसातल, तलातल, *महातल, और पाताल) मेरे लिए सुप्रभात करें*"!!
*धन्यवादः*"
☼ ☼ ☼ ☼ ☼ ☼
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु* । *सर्वेषां शान्तिर्भवतु* । *सर्वेषां पूर्णं भवतु* । *सर्वेषां मङ्गलं भवतु*" !!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
*ऊँ नमों रघवाय*"
☀ *शुभदिनमस्तु* !!☀
  �� *सुशील मिश्रः*"��


"नूतन दिवसस्य शुभेच्छाः"

*सुमंगलम् भवतु*"����
*नूतन दिवसस्य शुभेच्छाः*"
*पंच-तत्व प्रार्थना मन्त्र*"!!!
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*पृथ्वी  सगन्धा  सरसास्तथापः*
*स्पर्शी च वायुज्र्वलनं च तेजः*।
*नभः    सशब्दं   महता  सहैव*
*कुर्वन्तु सर्वे  मम  सुप्रभातम्**
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*अपने गुणरूपी गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु*, *ज्वलनशील तेज, तथा शब्द रूपी गुण से युक्त आकाश महत् तत्व बुद्धि के साथ मेरे प्रभात को मंगलमय करें* *अर्थात पांचों बुद्धि-तत्व कल्याण कारी हों*"!!
*धन्यवादः*:
*☼ ☼ ☼ ☼ ☼ ☼*
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु" सर्वेषां शान्तिर्भवतु*" *सर्वेषां पूर्णं भवतु "सर्वेषां मङ्गलं"भवतु*"!!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
*नमों वासुदेवाय*"
*नमों राघवाय*"
*हरिः ऊँ शान्तिः*" *शान्तिः*" *सुशांतिर्भवतु*"
*��शुभदिनमस्तु*��
                              *सुशील मिश्रः*"

!! सुप्रभातम् !!

*सुमंगलम् भवतु*"
*नूतन् दिवसस्य शुभेच्छाः*"
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*रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातम्*
*भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजश्रीः* ।
*इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे*
*हा हन्त हन्त नलिनीं गज उज्जहार* ॥
*शुभदिनमस्तु*"
*साभारः*"
*��कुवलयानन्द*"��
*सुशील मिश्रः*"
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!!==शान्ति पाठः==!!

*सुमंगलम् भवतु*"
@!! *शान्तिपाठः* !!@
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१ ॠग्वेद मन्त्र: ॐ वाङ् मे मनसि प्रतिष्ठिता मनो मे वाचि प्रतिष्ठितमावीरावीर्म एधि। वेदस्य म आणिस्थः श्रुतं मे मा प्रहासीरनेनाधीतेनाहोरात्रान् संदधाम्यृतम् वदिष्यामि सत्यं वदिष्यामि तन्मामवतु तद्वक्तारमवत्ववतु मामवतु वक्तारमवतु वक्तारम् ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

२ कृष्णयजुर्वेद मन्त्र: ॐ सह नाववतु | सह नौ भुनक्तु | सह वीर्यं करवावहै | तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै || ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||

३ कृष्णयजुर्वेद मन्त्र: ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः। शं नो भवत्वर्यमा। शं न इन्द्रो ब्रृहस्पतिः। शं नो विष्णुरुरुक्रमः। नमो ब्रह्मणे। नमस्ते वायो। त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वामेव प्रत्यक्षम् ब्रह्म वदिष्यामि। ॠतं वदिष्यामि। सत्यं वदिष्यामि। तन्मामवतु। तद्वक्तारमवतु। अवतु माम्। अवतु वक्तारम् ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

४ शुक्लयजुर्वेद मन्त्र: ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते | पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते || ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||

५ सामवेद मन्त्र: ॐ आप्यायन्तु ममाङ्गानि वाक्प्राणश्चक्षुः श्रोत्रमथो बलमिन्द्रियाणि च सर्वाणि। सर्वम् ब्रह्मौपनिषदम् माऽहं ब्रह्म निराकुर्यां मा मा ब्रह्म निराकरोदनिराकरणमस्त्वनिराकरणम् मेऽस्तु। तदात्मनि निरते य उपनिषत्सु धर्मास्ते मयि सन्तु ते मयि सन्तु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

६ अथर्ववेद मन्त्र: ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवाः। भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवागं सस्तनूभिर्व्यशेम देवहितम् यदायुः। स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अन्य मन्त्रा: १ ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति: पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतये: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति: सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥ सुशान्तिर्भवतु। सर्वारिष्टशान्तिर्भवतु ॥

२ ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
हरिः ऊँ शान्तिः"शान्तिः"सुशांतिर्भवतु"
*��शुभदिनमस्तु*��