Friday, December 30, 2011

by sushil

शीत ने अपने पांव पसारे
छुए वर्ष ने फिर से किनारे

वर्ष 2011 की समापन घड़ियों में
मेरी ओर से आप सब को
वर्ष 2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं !

**noontan varshabhinandan**

नए वर्ष में नई पहल हो।
कठिन ज़िंदगी और सरल हो।।

अनसुलझी जो रही पहेली।
अब शायद उसका भी हल हो।।

जो चलता है वक्त देखकर।
आगे जाकर वही सफल हो।।

नए वर्ष का उगता सूरज।
सबके लिए सुनहरा पल हो।।

समय हमारा साथ सदा दे।
कुछ ऐसी आगे हलचल हो।।

सुख के चौक पुरें हर द्वारे।
सुखमय आँगन का हर पल हो।।

Thursday, December 29, 2011

पक्षपात ही सब अनर्थों का मूल है, यह न भूलना। अर्थात् यदि तुम किसी के प्रति अन्य की अपेक्षा अधिक प्रीति-प्रदर्शन करते हो, तो याद रखो उसीसे भविष्य में कलह का बिजारोपण होगा।
मन का विकास करो और उसका संयम करो, उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो–उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी। यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो, और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है। sw.vi.
मानव-देह ही सर्वश्रेष्ठ देह है, एवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी है, क्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं–निश्चय ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त कर सकते हैं, और यह मुक्ति ही हमारा चरम लक्ष्य है।
Sweetness in ur speech,

Talent in ur mind,

Love in ur heart,

Peace in ur eyes,

Strength in ur hands,

And

I wish always HAPPINESS in ur life
M-ake the most of it.
O-pen your heart and mind.
R-emember to thank God.
N-ever frown
I-magine me
N-othing to worry.
G-ood Morning!
luck is yours wishes are mine let’s ur future be always shine.Best of Luck
dear friends...

When GOD drops needles and pins along ur path in LIFE, dont stay away,, instead pick them up and collect them..they were designed to be STRONG! My best wishes

Monday, December 12, 2011

Life never seems to be the way we want it,
but we live in the best way we can,
there is no perfect life,
but we can fill it with perfect moments,
keep smiling
When I pray I dont see God, but I know he listens.
As such, When I SMS U I dont see you, but I know you think of me and Smiles.
Life's most deepest feelings are often express in silence......

And the one who can read volumes from your silence is your true friend...!
Life ends when you stop dreaming,
hope ends when you stop believing
and love ends when you stop caring.
So dream hope and love.. Makes Life Beautiful
to friends....Kam karo aisa k pehchan ban jaye
hr kadam aisa chalo k nishan bn jaye
yaha zindegi to sabhi kat lete hain
zindegi jiyo aisi k misal ban jaye

Friday, December 9, 2011

Suraj pass ho na ho, Roshni aaspas rehti hai,
Chand paas ho na ho, Chandni aaspas rehti hai,
Waise hi aap pas ho na ho,
aapki Yaadein hamesha paas rehti hai…..!
KabhiKabhi aisa bhi hota hai,
Dosti ka asar zara der se hota hai.
Unhe lagta hai Hum kuch nahi Sochte unke bare me,
Par Har baat me Zikr unka hi hota hai……….
Muskurate rahe sada aap hazaro k bich,
jaise hasta hai ful baharo k bch,
Roshan rahe chehara aapka sada,
jaise roshan hai chand sitar k bich.
dear friends....Dur hone se rishtey nahi tutte….
Aur nahi paas aane se judhte….
Ye to Dilon ke ek bandhan hai….
Is liye hum apko aur aap humein nahi bhulte.
Chahane se har baat nahi hoti,
Thode se andhere se raat nahi hoti…..
Jinhe hum jaan se jyada chahte hai,
Unse har roz mulakat nahi hoti…..
Dosti ke bazaar me chah nahi hoti
dard hota hai magar aah nahi hoti.
dil se kiya gaya ho koi sauda
to chukaai gayi kimat ki parwah nahi hoti.
.Lamhe ye sunhere kal sath ho na ho,
kal me aaj jaisi baat ho na ho,
yaadon ke hasin lamhe dil me rehenge,
tamaam umar chahe mulaqat ho na ho
"yada yada hi dharmasya
glanir bhavati bharata
abhyutthanam adharmasya
tadatmanam srjamy aham"

Thursday, December 8, 2011

हमारे जीवन का स्वर्णिम कल आज पर निर्भर है। भविष्य को उज्जवल करने की आकांक्षा यदि हमारे मन में है तो आज को संवारना होगा। आज जो हमने बोया है, कल वही तो हम काटेंगे

Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj: Fwd: आज का विचार - 8/5/11

Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj: Fwd: आज का विचार - 8/5/11: FOR MORE POSTINGS VISIT BLOGS कुछ उदबोधन और जागृति के अक्षर अपने सामने रखकर जीवन जीओ जिससे आप सामान्य से ऊपर उठ सकें ।   आपके विचार ब...
People who are together while eating and praying can never be separated or divided.
Learn to take on new challenges and always have the courage to move forward in your life.

Tuesday, December 6, 2011

Zindagi K Har Mor Par Ansoun Ko Nichar Kar Ghamo Ko Chor Kar Uddaseon Ko Maror Kar Lamhon Ko Tatol Kar Khushyun Ko Jor Kar Muskrati Raho
Smile Is A Cooling System Of Heart Sparking System Of Eyes Lighting System Of Face Relaxing System Of Mind So Activate Your All Systm
When Lots Of People Starts To Love You, You May Get Confused Whom To Love, Just Tell Them I Hate You, Everyone Will Get Back, But Not The Person Who Loves You Truly.

Sunday, December 4, 2011

Climb every mountain in your life.
You will reach the top.
Best Wishes To You.
Rose is Famous 4 Grace…
Advocate is Famous 4 his Case…
Horses r Famous 4 Race…
But u r Famous 4 Smile on Ur Face…!have a beautifulday to all of you.
have a nice day
:-):-)
:-):-):-)
:-):-):-):-)
:-):-):-):-):-):-)
:-):-):-):-)
:-):-):-)
:-):-)

For You,

One For Each Hour.!
So That You Keep SMiLiNG 24 HOURS
In this lovely nite,
I pray 2 the blue moon 2 protect U thru the nite,
the wind 2 blow away ur stress N the
twinkle stars 2 guide U the way,
sweet dreams G00d NIGHT!

m


y name

m


y f.b.id card
**GOOD NIGHT FRIENDS**Heart change, I know they do
But
Dis heart will always belong to U

Heart Hurt, I know they do
But
Dis Heart Hurt More Without U

(◕‿◕) You & Me (◕‿◕)
**GOOD MORNING FRIENDS**Life is only traveled once;
today's moment becomes tomorrow's memory.
Enjoy every moment, gud or bad,
coz the GIFT of LIFE is LIFE itself.
Have a nice day.

Thursday, December 1, 2011

aapaka aaj ka purushaarth aapaka kal ka bhaagy hai

janm ke baad martyu, utthaan ke baad patan, sanyog ke baad viyog, sanchay ke baad kshay nishchit hai. jnyaanee in baato ka jnyaan kar harsh aur shok ke vasheebhoot nahee hote
. namrata aur meeThe vachan hee manushy ke sachche aabhooshaN hote hai

Monday, November 28, 2011


Its me

my aunti


CHACHA & CHACHI
किसी भी कार्य में सफलता इस बात पर निर्भर होती है कि आपका प्रयास कैसा है? लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आप किस प्रकार कार्य कर रहे हैं? जीवन में हर कदम कामयाबी चाहिए तो आचार्य चाणक्य की ये नीति अपनाना चाहिए।

आचार्य कहते हैं-

प्रभूतं कायमपि वा तन्नर: कर्तुमिच्छति।
सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते।।

यदि किसी व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त करना है तो उसे चाहिए वह पूरी शक्ति लगाकर कार्य करें। ठीक उसी तरह जैसे कोई शेर अपना शिकार करता है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं हमें जो भी कार्य करना है वह पूरी ताकत से करना चाहिए। कार्य चाहे जितना छोटा या बड़ा हो हमें पूरी शक्ति लगाकर ही करना चाहिए। तभी हमारी कामयाबी पक्की हो जाती है। जिस प्रकार कोई शेर अपने शिकार पर पूरी शक्ति से झपटता है और शिकार को भागने का मौका नहीं देता, इसी गुण के कारण वह कभी असफल नहीं होता है। हमें सिंह की भांति ही अपने लक्ष्य की ओर झपटना चाहिए, आगे बढऩा चाहिए। कार्य में किसी प्रकार का ढीलापन हुआ तो कामयाबी आपसे दूर हो जाएगी। यही सफलता प्राप्त करने का अचूक उपाय है।
संसार रूपी विष - वृक्ष के दो फल अमृततुल्य हैं - काव्यामृत के रस का आस्वादन और सज्जनों की संगति।
हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है।
Dur hote huye bhi Dosti ka Rishta nibhate hai aap,
Na jane kyun Dil ko lubhate hai aap,
Yeh kaisa karishma hai aap ka,
Jo hum ko itna yaad aate hai aap…

© http://hindisms.org/sms/missing-you#ixzz1f0TC5eNi
Jane kyu aati hai yaad tumhari,
Chura le jati hai ankhon se neend humari,
ab to yahi khayal rehta hai subh-o-shaam…
Kab hogi tumse phir mulakat humari.
I Miss You Dear…friendssss.?

© http://hindisms.org/sms/missing-you#ixzz1f0SI761w
Dosti ke bazaar me chah nahi hoti
dard hota hai magar aah nahi hoti.
dil se kiya gaya ho koi sauda
to chukaai gayi kimat ki parwah nahi hoti.
Koshish Kro K Koi Tm Se Na Roothe,
Zindagi Me Apno Ka Saath Na Choote,
Rishta Koi B Ho Use Aise Nibhao,
K Us Rishtey Ki Dor Zindagi Bhar Na Toote…

© http://hindisms.org/sms/sweet-sms#ixzz1f0OSOwn5

Friday, November 25, 2011

हार किसकी है और किसकी फतह कुछ सोचिए ।
जंग है ज्यादा जरूरी या सुलह कुछ सोचिए।

यूं बहुत लम्बी उडा़नें भर रहा है आदमी,
पर कहीं गुम हो गई उसकी सतह कुछ सोचिए।

मौन है इन्सानियत के कत्ल पर इन्साफ-घर,
अब कहां होगी भला उस पर जिरह कुछ सोचिए।

अब कहां ढूंढें भला अवशेष हम ईमान के,
खो गई सम्भावना वाली जगह कुछ सोचिए।

दे न पाए रोटियां बारूद पर खर्चा करे,
या खुदा अब बन्द हो ऐसी कलह कुछ सोचिए।

आदमी ’इन्सान’ बनकर रह नहीं पाया यहां,
क्या तलाशी जाएगी इसकी वजह कुछ सोचिए।
पेड़ की छाँव में, बैठे-बैठे सो गए
तुमने मुसकुरा कर देखा, हम तेरे हो गए

तमन्ना जागी दिल में, तुम्हें पाने की
तुम्हें पा लिया, और खुद तेरे हो गए

कब तलक यों ही, दूर रहना पड़ेगा
इस सोच में डूबे-डूबे, दुबले हो गए

बिन पत्तों की, उस डाली को देखा
तसव्वुर किया तुम्हारा, और कवि हो गए

यों ही बैठे रहे, सोचते रहे, हर पल
ख़यालों में तुम आते रहे, हमनशीं हो गए

राज़दार मेरे बनकर, ज़िंदगी में आ गए
रहनुमा बन गए, खुद राज़ हो गए

कोई फूल देखूँ, तो लगता है तुम हो
फिर फूल का क्या करूँ, खुद फूल हो गए

नसीब की कमी है, गुलाब सहता नहीं
पर तुम्हीं ख़यालों में, इक हँसी गुलाब हो गए

बेकरारी बढ़ती है, जब तुम याद आते हो
याद मैं करता नहीं, फिर भी याद आ गए

तुम्हारे लिए है, ये ज़िंदगी मेरी
ख़्वाहिश में तुम्हारी, हम लाचार हो गए

तड़प-तड़प के, एक-एक पल, मुश्किल से बीतते हैं
एक पल बीता, ऐसा लगे, कई साल हो गए
हर सितम हर ज़ुल्म जिसका आज तक सहते रहे
हम उसी के वास्ते हर दिन दुआ करते रहे

दिल के हाथों आज भी मजबूर हैं तो क्या हुआ
मुश्किलों के दौर में हम हौसला रखते रहे

बादलों की बेवफ़ाई से हमें अब क्या गिला
हम पसीने से ज़मीं आबाद जो करते रहे

हमको अपने आप पर इतना भरोसा था कि हम
चैन खोकर भी हमेशा चैन से रहते रहे

चाँद सूरज को भी हमसे रश्क होता था कभी
इसलिए कि हम उजाला हर तरफ़ करते रहे

हमने दुनिया को बताया था वफ़ा क्या चीज़ है
आज जब पूछा गया तो आसमाँ तकते रहे

हम तो पत्थर हैं नहीं फिर पिघलते क्यों नहीं
भावनाओं की नदी में आज तक बहते रहे
चाँदनी को क्या हुआ कि आग बरसाने लगी
झुरमुटों को छोड़कर चिड़िया कहीं जाने लगी

पेड़ अब सहमे हुए हैं देखकर कुल्हाड़ियाँ
आज तो छाया भी उनकी डर से घबराने लगी

जिस नदी के तीर पर बैठा किए थे हम कभी
उस नदी की हर लहर अब तो सितम ढाने लगी

वादियों में जान का ख़तरा बढ़ा जब से बहुत
अब तो वहाँ पुरवाई भी जाने से कतराने लगी

जिस जगह चौपाल सजती थी अंधेरा है वहाँ
इसलिए कि मौत बनकर रात जो आने लगी

जिस जगह कभी किलकारियों का था हुजूम
आज देखो उस जगह भी मुर्दनी छाने लगी
दो क्षणद के इस जीवन में, क्या 'खोना' क्या 'पाना' है,
माटी से तू बना है मानव, फिर इसी में मिल जाना है!

धन-दौलत के मोह में आकर, मानवता को भूलजाना है,
शाम सवेरे दृष्टि में अब तो, यही किस्सा पुराना है!

लालस की नैया को जान ले, एक दिन डूब ही जाना है,
मानवता का जो करे है आदर, वही मनुष्य सयाना है!

वास्तु-मोह में फसे मनष्य को ये, फिर से याद दिलाना है,
जीवन की ये परीक्षा पूर्ण कर, इश्वर के घर जाना है!

धन दौलत सब वास्तु हैं इनको, यहीं छोढ़ कर जाना है,
बस कर्मों के ही चिंता कर तू, के इन्ही को साथ ले-जाना है!
तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ?
मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ?
किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ?

भू के मानचित्र पर अंकित त्रिभुज, यही क्या तू है ?
नर के नभश्चरण की दृढ़ कल्पना नहीं क्या तू है ?
भेदों का ज्ञाता, निगूढ़ताओं का चिर ज्ञानी है
मेरे प्यारे देश ! नहीं तू पत्थर है, पानी है
जड़ताओं में छिपे किसी चेतन को नमन करूँ मैं ?

भारत नहीं स्थान का वाचक, गुण विशेष नर का है
एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल भर का है
जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है
देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्कर है
निखिल विश्व को जन्मभूमि-वंदन को नमन करूँ मैं !

खंडित है यह मही शैल से, सरिता से सागर से
पर, जब भी दो हाथ निकल मिलते आ द्वीपांतर से
तब खाई को पाट शून्य में महामोद मचता है
दो द्वीपों के बीच सेतु यह भारत ही रचता है
मंगलमय यह महासेतु-बंधन को नमन करूँ मैं !

दो हृदय के तार जहाँ भी जो जन जोड़ रहे हैं
मित्र-भाव की ओर विश्व की गति को मोड़ रहे हैं
घोल रहे हैं जो जीवन-सरिता में प्रेम-रसायन
खोर रहे हैं देश-देश के बीच मुँदे वातायन
आत्मबंधु कहकर ऐसे जन-जन को नमन करूँ मैं !

उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है
धर्म-दीप हो जिसके भी कर में वह नर तेरा है
तेरा है वह वीर, सत्य पर जो अड़ने आता है
किसी न्याय के लिए प्राण अर्पित करने जाता है
मानवता के इस ललाट-वंदन को नमन करूँ मैं !
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक ।।
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले

डरे क्यों मेरा कातिल क्या रहेगा उसकी गर्दन पर
वो खून जो चश्म-ऐ-तर से उम्र भर यूं दम-ब-दम निकले

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले

भ्रम खुल जाये जालीम तेरे कामत कि दराजी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुरपेच-ओ-खम का पेच-ओ-खम निकले

मगर लिखवाये कोई उसको खत तो हमसे लिखवाये
हुई सुबह और घर से कान पर रखकर कलम निकले

हुई इस दौर में मनसूब मुझसे बादा-आशामी
फिर आया वो जमाना जो जहाँ से जाम-ए-जम निकले

हुई जिनसे तव्वको खस्तगी की दाद पाने की
वो हमसे भी ज्यादा खस्ता-ए-तेग-ए-सितम निकले

मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले

जरा कर जोर सिने पर कि तीर-ऐ-पुरसितम निकले
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले

खुदा के बासते पर्दा ना काबे से उठा जालिम
कहीं ऐसा न हो याँ भी वही काफिर सनम निकले
- मैथिलीशरण गुप्त

नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को ।

संभलो कि सुयोग न जाए चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलम्बन को
नर हो न निराश करो मन को ।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को ।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो न निराश करो मन को ।
***रीति, प्रीति सबसौं भली, बैर न हित मित गोत।
रहिमन याहि जनम की, बहुरि न संगत होत।।

इसका अर्थ है कि प्रेम से हिल मिल कर रहना ही अच्छा होता है खास तौर पर अपने हितेषी, मित्रों और गोत्र वालों से कभी भी बैर नहीं रखना चाहिए. ये एक ही तो जनम मिला है फिर पता नहीं ये शरीर मिले या ना मिले.***
परत्रिय मात समान समज, परधन धुरी समान
इतने मे हरि ना मिले तो तुलसीदास जमान

गोस्वामी तुलसीदास जी ने ये बड़ी विलक्षण बात कही है उन्होने कहा है कि

पराई स्त्री को माता के समान और पराये धन को धुल के समान समजो जिस मनुष्य मे ये दोनो गुण आ गये और उसे परमेश्वर ना मिले तो उसकी वो खुद जमानत देने को तैयार है ।
सम्मान कभी मुफ्त में नहीं मिलती है/
इसे अपने कर्मों के द्वारा कमाया जाता है/
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल॥
अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन॥
चिंता से चतुराई घटे दुःख: से घटे शरीर
और पाप से घटे लक्ष्मी कह गए दास कबीर

कबीर दास जी कह गए हैं कि व्यर्थ कि चिंता से बुद्धि को और व्यर्थ के दुःख से शरीर को हानि पहुचती हैं
और पाप कर्म से धन वैभव का नाश होता हैं
तो मनुष्यों को इन तीनो को अपने जीवन से दूर रखना चाहिए
परहित सरिस धरम नहीं भाई
परपीड़ा सम नहीं अधमाई

दुसरो की सेवा और उनका हित करने के सामान कोई धर्म नहीं हैं
दुसरो को पीड़ा पहुचने के सामान कोई अधर्म नहीं हैं
**Do not let that happen late,
do not eat like that should be merged
do not think like that to happen to worry
Do not say that that would be a conflict
would be a sin not earn
that such costs do not fall in debt**
*THANK YOU*
*sushi*
**Knowledge that the ocean
which never fills up
, but it fills sharing and more.**
***God is one and he likes to unity.***

***Life is a flower
and love is the Madhu.***
***कोई भी मनुष्य जन्म से महान नही होता
उसके द्वारा किये गए अच्छे कार्य उसे महान बनाते हैँ***
वे माता-पिता अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान हैं, जिन्होंने बच्चों को *अच्छी शिक्षा नहीं दी। क्योंकि अनपढ़ बालक का विद्वानों के समूह में उसी प्रकार अपमान होता है जैसे हंसों के झुंड में बगुले की स्थिति होती है। शिक्षा विहीन मनुष्य बिना पूँछ के जानवर जैसा होता है, इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जिससे वे समाज को सुशोभित करें।
चाणक्य कहते हैं कि बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है, उनका विकास उसी प्रकार होता है। इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे उन्हें ऐसे मार्ग पर चलाएँ, जिससे उनमें उत्तम चरित्र का विकास हो क्योंकि गुणी व्यक्तियों से ही कुल की शोभा बढ़ती है।

Thursday, November 24, 2011

जिस व्यक्ति के मन में जैसे भाव होंगे उसके विचार भी वैसे ही प्रकट होते हैं। जो मन के भीतर चलता है वही बाहर दिखाई देता है। उसी प्रकार हम लोगों को जो देते हैं वही हमें मिलता है।
Duniya ka hr shauk pala nahi jata, Kanch ke khilono ko yu uchala nai jata. Mehnat karne se mushqile ho jati hain aasaan, hr kaam taqdeer pe dala nai jata.my best wishes to all friends...?

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Live life with a joyful heart and keep your spirit young and free! Stay true and firm to Jesus Christ! And be the best that you can be! Take care!....
have
A
beautiful
day to
all my sweet
*

friends*

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Hum agar aapse mil nahi pate aisa nahin ke hamein
aap yaad nahi aate,
mana jahan ke sab rishte nibhaye nahi jate,
par jo bas jate hai dil me phir bhulae nahi jate
Nighahe nighago se milakar to dekho,
naye logo se rishta banakar to dekho,
hasrate dil me dabane se kya faida,
apne hoton ko hilakar to dekho,
asmaan simat jayega tumhare agosh me,
chahat ki bahen failakar to dekho

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.Kisi na kisi pe kisi ko aetbar ho jata hai,
ajnabi koi shaks yaar ho jata hai,
khubiyo se nahi hoti mohabbat bhi sadaa,
khamiyo se bhi aksar pyaar ho jata hai

.Fasle mita kar aapas me pyar rakhna,
dosti ka ye rishta hamesha yunhi barkarar rakhna,
bichad jaye kabhi aap se hum,
aankhon me hamesha hamara intejar rakhna
Yaadon mein hum rahein ye ehsaas rakhna,
nazron se door sahi dil ke paas rakhna,
ye nahi kehte ke sath raho dur sahi par yaad rakhna
Talaash Karo koi tumhe mil jayega,
Magar hamari tarha tumhe kaun chahega,
Zarur koi chahat ki nazar se tumhe dekhega,
Magar ankhein hamari kahan se layega..!!
Duriya bohut hain par itna tum samajlo ke pas rehe kar bhi koi rista khas nehi hota,
Aap meri dil ke itne pass ho ki duriyo ka ehesas nehi hota
क्रोध यमराज के समान है, उसके कारण मनुष्य मृत्यु की गोद में चला जाता है। तृष्णा वैतरणी नदी की तरह है जिसके कारण मनुष्य को सदैव कष्ट उठाने पड़ते हैं। विद्या कामधेनु के समान है । मनुष्य अगर भलीभांति शिक्षा प्राप्त करे को वह कहीं भी और कभी भी फल प्रदान कर सकती है।

Wednesday, November 23, 2011

सबसे प्यारी, सबसे न्यारी,
कितनी भोली भाली माँ.

तपती दोपहरी में जैसे,
शीतल छैया वाली माँ.

मुझको देख -देख मुस्काती,
मेरे आँसु सह न पाती.
मेरे सुख के बदले अपने,
सुख की बलि चढ़ाती माँ.

इसकी 'ममता' की पावन,
मीठी बोली है मन भावन,
कांटो की बगिया में सुन्दर,
फूलों को बिखराती माँ.

इसका आँचल निर्मल उज्जवल,
जिसमे हैं, नभ - जल -थल.
अपने शुभ आशिषों से,
हम को सहलाती माँ.

माँ का मन न कभी दुखाना,
हरदम इसको शीश झुकाना,
इस धरती पर माता बनकर,
ईश कृपा बरसाती माँ.

प्रेमभाव से मिलकर रहना,
आदर सभी बड़ो का करना,
सेवा, सिमरन, सत्संग वाली,
सच्ची राह दिखाती माँ.

सबसे भोली सबसे प्यारी,
सबसे न्यारी मेरी माँ.
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यम
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात॥

Sunday, November 20, 2011