Thursday, August 16, 2018

आज सब आंखे नम हैं #AtalBihariVajpayee"

कर्तव्य के पुनीत पथ को 
हमने स्वेद से सींचा है, 
कभी-कभी अपने अश्रु और— 
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है। 

किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में— 
हम कभी रुके नहीं हैं। 
किसी चुनौती के सम्मुख 
कभी झुके नहीं हैं। 

आज, 
जब कि राष्ट्र-जीवन की 
समस्त निधियाँ, 
दाँव पर लगी हैं, 
और, 
एक घनीभूत अंधेरा— 
हमारे जीवन के 
सारे आलोक को 
निगल लेना चाहता है; 

हमें ध्येय के लिए 
जीने, जूझने और 
आवश्यकता पड़ने पर— 
मरने के संकल्प को दोहराना है। 

आग्नेय परीक्षा की 
इस घड़ी में— 
आइए, अर्जुन की तरह 
उद्घोष करें : 
‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’

Thursday, May 31, 2018

!!श्रीकृष्णार्पणमस्तु!!

देवकीगर्भसम्भूत,कृष्ण केशव असुरारी!
लीलाधर नमस्तुभ्यं,योगिराज नमो$स्तु ते!!

!!श्रीरामचन्द्रार्पणमस्तु!!

कौशल्यागर्भसम्भूत,श्यामाङ्ग पुरुषोत्तम!
श्रीरामचंद्र नमस्तुभ्यं,रघुपुङ्गव नमो$स्तु ते!!

Sunday, December 10, 2017

🌿!!वंदे संसकृत मातरम्!!🌿

शुष्ठु भाषा संस्कृतं,सौम्य भाषा संस्कृतम्!
सर्वसौख्यदायिनी,विशुद्ध भाषा संस्कृतम्!!
🙏जयतु संस्कृतम्🙏
#संस्कृतम्!!

Tuesday, August 8, 2017

🌺"जयतु संस्कृतम्"🌺

*सुमंगलम्"*
*🌅,🙏,सुप्रभातम, ,🙏,🌅*
श्रावणी पर्व रक्षाबन्धनोत्सवस्य संस्कृतदिवसस्य च सर्वेभ्यः हार्दिक्यः शुभकामनाः।
ओम् यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।
*शुक्लयजुर्वेदीय रक्षाबंधनम्*"
जनेन विधिना यस्तु रक्षाबंधनमाचरेत। स सर्वदोष रहित, सुखी संवतसरे भवेत्।।

अर्थात् इस प्रकार विधिपूर्वक जिसे रक्षाबंधन किया जाता है वह संपूर्ण दोषों से दूर रहकर संपूर्ण वर्ष सुखी रहता है।
यत्र संस्कृतं भवति
तत्र संस्कारस्तु स्वयमेव भवति।
*नास्ति संस्कृत समो भाषा,नास्ति संस्कृत समो निधिः"!*
*नास्ति संस्कृत समो ज्ञानम्,नास्ति संस्कृत समो गतिः"!!*
संस्कृतदिवसस्य शुभावसरे समृद्धसंस्कृतस्य मङ्गलकामनाभिः सह सर्वेभ्यः अतीव् शुभकामना:।
*🌺"जयतु संस्कृतम्"🌺*
*🙏🏻"सर्व भाषासु मातरम्,*
*वंदे संस्कृत मातरम्"🙏🏻*
*#शुभदिनमस्तु",🙏🏻,🌅,🙏🏻,*
*(सु.मिश्रः)*

Sunday, July 30, 2017

हरि:ॐतत्सत् सर्वेभ्यो नमो नम:"!!

*🙏🏻हरि:ॐतत्सत् सर्वेभ्यो नमो नम:"!!🙏🏻*
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:। यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।
रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयति इति रुद्र:।
*रुद्रहृदयोपनिषदम्"*
*🔱हर हर महादेव🔱*
*"ॐ"नमः शिवाय"*
*सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यंतु च"*
*🌅🌅"सुप्रभातम्"🌅🌅*
*शुभदिनमस्तु"!!*

हरि:ॐतत्सत् सर्वेभ्यो नमो नम:"!!

*हरि:ॐतत्सत् सर्वेभ्यो नमो नम:"!!*
*🌅🌅"सुप्रभातम्"🌅🌅*
*‘एक एवं तदा रुद्रो न द्वितीयोऽस्नि कश्चन’*, सृष्टि के आरम्भ में एक ही रुद्र देव विद्यमान रहते हैं, दूसरा कोई नहीं होता। वे ही इस जगत की सृष्टि करते हैं, इसकी रक्षा करते हैं और अंत में इसका संहार करते हैं। 
*अहं शिवः शिवश्चार्य, त्वं चापि शिव एव हि।*
*सर्व शिवमयं ब्रह्म, शिवात्परं न किञचन।।”*
मैं शिव, तू शिव सब कुछ शिव मय है। शिव से परे कुछ भी नहीं है। इसीलिए कहा गया है- *‘शिवोदाता, शिवोभोक्ता शिवं सर्वमिदं जगत*।
शिव ही दाता हैं, शिव ही भोक्ता हैं। जो दिखाई पड़ रहा है यह सब शिव ही है। शिव का अर्थ -जिसे सब चाहते हैं अखण्ड आनंद को। 
आप सभी का दिन शुभ एवं कल्याणकारी हो"!!
*🔱हर हर महादेव🔱*
*"ॐ नमः शिवाय"*
*🥀शुभदिनमस्तु"!!🥀*