*सुमंगलम् भवतु*"
*सप्त ऋषि-सप्त रसातल-सप्त स्वर प्रार्थना मन्त्र*!!
*सनत्कुमारः सनकः सनन्दनः*
*सनातनोऽप्यासुरिपिङगलौ च*"
*सप्त स्वराः सप्त रसातलानि*
*कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्*!!
*ब्रह्मा के मानसपुत्र बाल ऋषि) सनतकुमार, सनक, सनन्दन और सनातन तथा *सांख्य-दर्शन के प्रर्वतक कपिल मुनि के शिष्य*" *आसुरि एवं छन्दों का ज्ञान कराने वाले मुनि पिंगल मेरे इस प्रभात को मंगलमय करें*। *साथ ही* ( *नाद-ब्रह्म के विवर्तरूप षड्ज*, *ऋषभ, गांधार, मध्यम, *पंचम, धैवत और निषाद) ये सातों स्वर और (हमारी पृथ्वी से नीचे स्थित) *सातों रसातल (अतल, वितल, *सुतल, रसातल, तलातल, *महातल, और पाताल) मेरे लिए सुप्रभात करें*"!!
*धन्यवादः*"
☼ ☼ ☼ ☼ ☼ ☼
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु* । *सर्वेषां शान्तिर्भवतु* । *सर्वेषां पूर्णं भवतु* । *सर्वेषां मङ्गलं भवतु*" !!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
*ऊँ नमों रघवाय*"
☀ *शुभदिनमस्तु* !!☀
*सुशील मिश्रः*"
Wednesday, August 31, 2016
"कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्"
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