*सुमंगलम् भवतु*"
!! *वर दे दुर्गे वर दे*"!!
卐 *ॐ दुं दुर्गायै नमःॐ*卐
*"शक्ति" साधना शारदीय नवरात्रि पर्वस्य भवतां सर्वेषां कोटिशः शुभकामनाः*"!!
*एतद् पर्व आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य प्रतिपदा तिथीतः आरभ्य नवमीतिथौ पर्यन्तं नव दिनानि यावत् आचर्यते*"!
*एतत्पर्वावसरे गृहे, गृहे सर्वे भक्त जनाः घटस्थापनं, नवदुर्गापूजनं च कुर्वन्ति*"!
*दुर्गाशप्तशती पुस्तके उल्लिखिता*"
*प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी*।
*तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्*"
*पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च*।
*सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टकम्* ।।
*नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः*।
*उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना* ।।
*अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे*।
*विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः*।।
*न तेषां जायते किंचिदशुभं रणसंकटे*।
*नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि*।।
*हे विप्रवर*!
*देवी का यह कवच अत्यन्त गुह्य तथा सभी भूतों का उपकारक है*, *हे महामुनि इसे सुनें* ।
*देवी के ये नाम महात्मा ब्रह्मा(वेद) के द्वारा वर्णित हैं*।
*जो विषम परिस्थिति में दुर्गम स्थल पर या भय या अधिक दुःख से त्रस्त(आर्त) होकर देवी की शरण में आते हैं*"
*उनका रण में या संकट में किसी प्रकार का (कुछ भी) अशुभ नहीं होता है*"
*न ही उनकी च्युति(अपद) होती है और न ही उन्हें किसी प्रकार का शोक, दुःख, भय प्राप्त होता है*"!!
*आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं*
*करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि*।
*नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः*
*क्षुधातृषार्ताः जननीं स्मरन्ति*॥
*अपराधो भवत्येव*
*तनयस्य पदे-पदे*।
*कोऽपरः सहते लोके*
*केवलं मातरं विना*॥?
*पुत्र से कदम-कदम पर गलतियाँ होती रहती हैं*। *उन गलतियों को माँ के सिवा और कौन सह सकता है*?
*भो मातृ दुर्गे क्षमस्व मम् सर्वापराधं, क्षमस्व करुणामयी*"
*त्वाम् चरणे अनंताः वंदनम् समर्पयामि*"!!
*धन्यवादाः*"!
*सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु" सर्वेषां शान्तिर्भवतु*" *सर्वेषां पूर्णं भवतु "सर्वेषां मङ्गलं"भवतु*"!!
*विजयी भव सर्वत्र* !
*सर्वदा, जयतु* !!
" *सुशील मिश्रः*"
*शुभदिनमस्तु* !!
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