चिंता से चतुराई घटे दुःख: से घटे शरीर
और पाप से घटे लक्ष्मी कह गए दास कबीर
कबीर दास जी कह गए हैं कि व्यर्थ कि चिंता से बुद्धि को और व्यर्थ के दुःख से शरीर को हानि पहुचती हैं
और पाप कर्म से धन वैभव का नाश होता हैं
तो मनुष्यों को इन तीनो को अपने जीवन से दूर रखना चाहिए
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