(.Vidhya vinayen shobhate.)
Thursday, December 8, 2011
हमारे जीवन का स्वर्णिम कल आज पर निर्भर है। भविष्य को उज्जवल करने की आकांक्षा यदि हमारे मन में है तो आज को संवारना होगा। आज जो हमने बोया है, कल वही तो हम काटेंगे
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