माता का आंठवा रुप माता महागौरी का है. एक पौराणिक कथा के अनुसार शुभ निशुम्भ से पराजित होने के बाद गंगा के तट पर देवता माता महागौरी की पूजा कर रहे थे, और राक्षसों से रक्षा करने की प्रार्थना कर रहे थे, इसके बाद ही माता का यह रुप प्रकट हुआ और देवताओं की रक्षा हुई. इस माता के विषय में यह मान्यता है कि जो स्त्री माता के इस रुप की पूजा करती है, उस स्त्री का सुहाग सदैव बना रहता है. कुंवारी कन्या पूजा करें, तो उसे योग्य वर की प्राप्ति होती है. साथ ही जो पुरुष माता के इस रुप की पूजा करता है, उसका जीवन सुखमय रहता है. माता महागौरी अपने भक्तों को अक्षय आनन्द ओर तेज प्रदान करती है.
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