(.Vidhya vinayen shobhate.)
Tuesday, January 24, 2012
शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है. शक लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़तम करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है.यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती हैg.b.
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