Thursday, December 18, 2014

भगवान कृष्ण के विभिन्न मंत्र: ... ● मूल मंत्र ● कृं कृष्णाय नमः यह भगवान कृष्ण का मूलमंत्र हैं। इस मूल मंत्र के नियमित जाप करने से व्यक्ति को जीवन में सभी बाधाओं एवं कष्टों से मुक्ति मिलती हैं एवं सुख कि प्राप्ति होती हैं। ● सप्तदशाक्षर मंत्र ● ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा यह भगवान कृष्ण का सत्तरा अक्षर का हैं। इस मूल मंत्र के नियमित जाप करने से व्यक्ति को मंत्र सिद्ध हो जाने के पश्चयात उसे जीवन में सबकुछ प्राप्त होता हैं। ● सप्ताक्षर मंत्र ● गोवल्लभाय स्वाहा इस सात अक्षरों वाले मंत्र के नियमित जाप करने से जीवन में सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ● अष्टाक्षर मंत्र ● गोकुल नाथाय नमः इस आठ अक्षरों वाले मंत्र के नियमित जाप करने से व्यक्ति कि सभी इच्छाएँ एवं अभिलाषाए पूर्ण होती हैं। ● दशाक्षर मंत्र ● क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः इस दशाक्षर मंत्र के नियमित जाप करने से संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती हैं। ● द्वादशाक्षर मंत्र ● ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय इस कृष्ण द्वादशाक्षर मंत्र के नियमित जाप करने से इष्ट सिद्धी की प्राप्ति होती हैं। ● तेईस अक्षर मंत्र ● ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री यह तेईस अक्षर मंत्र के नियमित जाप करने से व्यक्ति कि सभी बाधाएँ स्वतः समाप्त हो जाती हैं। ● अट्ठाईस अक्षर मंत्र ● ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा यह अट्ठाईस अक्षर मंत्र के नियमित जाप करने से व्यक्ति को समस्त अभिष्ट वस्तुओं कि प्राप्ति होती हैं। ● उन्तीस अक्षर मंत्र ● लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा। यह उन्तीस अक्षर मंत्र के नियमित जाप करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ● बत्तीस अक्षर मंत्र ● नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा। यह बत्तीस अक्षर मंत्र के नियमित जाप करने से व्यक्ति कि समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। ● तैंतीस अक्षर मंत्र ● ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे॥ यह तैंतीस अक्षर के नियमित जाप करने से समस्त प्रकार की विद्याएं निःसंदेह प्राप्त होती हैं।। जय श्री कृष्ण !! शुभमस्तु !! 

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