Thursday, December 18, 2014

ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि ।तन्नः शिवः प्रचोदयात् ॥........... पुराणों के अनुसार शिवजी की आराधना से मनुष्य की सारी मनोकामना पूरी होती है। शिवलिंग पर मात्र जलशिवपुराण कथा में बारह ज्योतिर्लिंग के वर्णन की महिमा बताई गई है। ये 12 ज्योतिर्लिंग जानिए शिव के 12 ज्योतिर्लिंगसोमनाथयह शिवलिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थापित है।श्री शैल मल्लिकार्जुनमद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।महाकालउज्जैन में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।ओंकारेश्वर ममलेश्वरमध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदान देने यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।नागेश्वरगुजरात के दारूका वन के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।बैद्यनाथझारखंड के देवघर में बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।भीमशंकरमहाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।त्र्यंम्बकेश्वरनासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।घुष्मेश्वरमहाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग।केदारनाथहिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। उत्तराखंड में स्थित है।विश्वनाथबनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।रामेश्वरम्‌त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग..... सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्  उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारममलेश्वरम् ॥ saurAshTre somanAtham cha shrIshaile mallikArjunam ujjayiniyAm mahAkAlam omkAramamaleshwaram परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करं  सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥ paralyAm vaidyanAtham cha DAkinyAm bheemashankaram setubandhe tu rAmesham nAgesham dArukAvane  वारणस्यां तु विश्र्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे हिमालये तु केदारं घृश्नेशं च शिवालये ॥ vAraNasyAm tu vishvesham tryambakam gautameetaTe himAlaye tu kedAram ghrushnesham cha shivAlaye एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः  सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥ etAni jyotirlingAni sAyam prAtah paThennarah saptajanmakrutam pApam smaraNena vinashyati

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