Thursday, December 18, 2014

प्रातः स्मरणीय व कल्याणकारी छः मन्त्र! ************************* सनत्कुमारः सनकः सनन्दनः सनातनोऽप्यासुरिपिङगलौ च। सप्त  स्वराः सप्त   रसातलानि कुर्वन्तु  सर्वे मम  सुप्रभातम्।।4।। (ब्रह्मा के मानसपुत्र बाल ऋषि) सनतकुमार, सनक, सनन्दन और सनातन तथा (सांख्य-दर्शन के प्रर्वतक कपिल मुनि के शिष्य) आसुरि एवं छन्दों का ज्ञान कराने वाले मुनि पिंगल मेरे इस प्रभात को मंगलमय करें। साथ ही (नाद-ब्रह्म के विवर्तरूप षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद) ये सातों स्वर और (हमारी पृथ्वी से नीचे स्थित) सातों रसातल (अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल, और पाताल) मेरे लिए सुप्रभात करें !! ॐ..... शुभमस्तु !! 

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